📘 सफलता की सीढ़ी – 100 महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

"Learning Today, Leading Tomorrow" शिक्षिका एवं संकलक – Poornima Gontiya  📖 विषय शामिल हैं: अंतर्राष्ट्रीय संगठन मध्य प्रदेश सामान्य ज्ञान विटामिन एवं स्वास्थ्य भारतीय संविधान भारतीय दण्ड संहिता (IPC) 🌀 भाग 1 : अंतर्राष्ट्रीय संगठन (International Organizations) संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) की स्थापना कब हुई थी? (A) 1919 (B) 1945 (C) 1939 (D) 1950 UNICEF का मुख्य उद्देश्य क्या है? (A) शिक्षा (B) बच्चों का कल्याण (C) शांति स्थापना (D) चिकित्सा WHO का मुख्यालय कहाँ स्थित है? (A) पेरिस (B) जेनेवा (C) लंदन (D) न्यूयॉर्क IMF का पूरा नाम क्या है? (A) International Money Fund (B) International Monetary Fund (C) International Management Fund (D) International Member Fund UNESCO का मुख्यालय कहाँ है? (A) लंदन (B) पेरिस (C) बर्लिन (D) वॉशिंगटन विश्व बैंक की स्थापना कब हुई थी? (A) 1944 (B) 1950 (C) 1960 (D) 1972 SAARC की स्थापना किस वर्ष हुई थी? (A) 1985 (B) 1980 (C) 1990 (D) 1975 WTO का मुख्य उद्देश्य क्या है? (A) विश्व शांति (B) अंतर्राष्ट्रीय व्...

मर्यादा का घूँघट

पैदा होते ही फ़ीकी सी मुस्कान देख मैं रोई,
कूड़े की चादर ओढ़े, आँसूओं की मालाएँ पिरोई।
मिली किसी अनजान को,जिसने हृदय से मुझे लगाया,
कहा मुझे प्यारी सी बिटिया, लाडो कहकर खिलखिलाया।
तब जाकर माँ के स्पर्ष का कोमल ,एहसास मुझे हो आया,
मेरे सर पर ममता का आँचल जैसे लहराया।
बड़ी हुई,खेली-कूँदी और सखियों संग स्वांग रचाया।
यसोदा जैसी मैया से मैने खूब लाड़ लड़ाया।
समय का फेर फिर बदला छूटा मैया का साथ।
लो बड़ी हो गई मैं भी अब तो ,छूटे सारे अरमान।
रोका सबने टोका मुझको,तुम कहीं न बाहर जाना।
ओढ़ ये घूंघट मर्यादा का, रीत निष्ठा से निभाना।
यहाँ गिरी,फिर वहां गिरी ठोकरें मिली हज़ार।
न थमा ये ढोंग मर्यादा का, रूढ़ियों की चली तलवार।
न कदम रखे, घर के बाहर,न देखी बाहर की दुनिया।
बस चार दिवारी घर ही कि बन गयी अब तो मेरी दुनिया।
ऐसे मत पहनों,चलो अदब से,देख समाज गुरर्राएगा।
हँसो आहिस्ता, बैठो ढंग से तभी अदब तुममें समाएगा।
वो बुरी नज़र, वो बुरा व्यवहार उनका है जन्मसिद्ध अधिकार।
तुम तो हो समझदार ,बस संभल कर तुम्हे ही रहना है।
ज्यादा न कुछ तुमको बेटा इस दुनिया से कहना है।
निःशब्द रहो....बेटा , इस दुनिया से कुछ न कहना है....

सारे ज़माने की तोहमत,  हमें ही बुरा कहेंगे न!
इतना सब सहन किया लेकिन अब बहुत हुआ,
अब बहुत हुआ।
हमने भी बस कहा जगत से ,अब न होगा रोना-धोना।
न होगा ये ढ़ोंग-धतूरा। न झूठा अदब आडम्बर।
जब किया नही कुछ गलत तो सिर क्यों हम झुकाए।
हिम्मत से चलेंगे,आगे बढ़ेंगे,उड़ाने ऊंची भरेंगे।
है दम तो रोक के दिखलाओ।
हुम् भी किसी से कम तो नहीं।
कभी दुर्गा,कभी लक्ष्मी,कभी काली बन जाउंगी।
अब न सहन करूँगी मैं,सबको अब सबक सिखाऊंगी।
करनी है हमको अपने मन की ,न सहे किसी मनमानी।
अब हमने भी आवाज उठाई ,अपनी करने की ठानी।
न रुकेगी अब , न थके की अब ।
आवाज़ की ज्वाला सी आंधी, 
सुन लो ओ ज़माने के पहरेदारों ।
हमने भी त्रिशूल उठाया है।
शिक्षा से ,बुद्धि से, ज्ञान का दीप जलाएंगे।
हम हर अंधेरे को अपनी काबिलियत से मिटाएंगे।
मैं बेटी हूँ, तो बहन कभी ,कभी हूँ माँ का रूप ।
मत जगाओ अंदर की ज्वाला ,में शांत हूँ अनंत अनूप।
मैं शांत हूँ अनंत अनूप। मैं शांत हूँ अनंत अनूप......

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