संघर्ष

सुख का #चादर ओढ़े ,
तू कब तक खैर मनाएगा।
दुख की #आग जला देगी,
तू उससे बच न पाएगा।
जितना #ठोकर खाएगा,
उतनी ही दूर तू जाएगा।
चल उड़ जा,#ऊंचे आसमाँ में,
तू कबतक डरता जाएगा।
गिरने से क्यों डरता है,
वो थाम के तुझे संभालेगा।
फिर से ऊंची उड़ान भर ले,
ये #आसमान झुक जाएगा।
तू रुकना न,तू थकना न,
ये लोग चुनौती देंगे हज़ार।
जो डटा रहा,तू अड़ा रहा,
फिर कौन तुझे रोक पाएगा।
तेरे संघर्ष की अग्नी को,
 ज्वाला सा तेज़ जला लेना।
संघर्ष विराम जो लगे कभी,
तू थोड़ा और चमक लेना।
तू बन प्रखर, तू और निखर,
तेरा #वजूद गुरर्राएगा,
देखना वक़्त भी एक दिन,
तेरा #गुलाम बन जाएगा।
     
 

Comments

Popular posts from this blog

Is the Sanctity of Parliamentary Debate, Which Lies at the Core of Democratic Decision-Making, Being Compromised?

‘India had parliamentary institutions when people of Europe were mere nomads’

Dr. D.C. Wadhwa & Ors. vs. State of Bihar & Ors. case of 1986